जिले के बारे में
भौगोलिक स्थिति
नया जिला एम०सी०बी० कोरिया जिले को विभाजित कर बनाया गया है। इसकी सीमायें उत्तर में मध्यप्रदेश के सीधी जिले की कुसमी तहसील, मध्यप्रदेश का सिंगरौली जिला, दक्षिण में कोरबा जिले की पोंड़ी उपरोड़ा और सूरजपुर की रामानुजनगर तहसील को छूती है। इसी तरह से पूर्व में कोरिया की बैकुण्ठपुर और सोनहत तहसील, पश्चिम में जिला गौरला पेंड्रा मरवाही और मध्यप्रदेश का अनूपपुर व शहडोल जिले के साथ सीमा बनाती है। जिले की अनुमानित जनसंख्या 3,81,287 (तीन लाख इक्यासी हजार दो सौ सत्तासी) है। जिले का मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ है।
जिले में पांच राजस्व उपखण्ड मनेन्द्रगढ़,चिरमिरी, खड़गवां, केल्हारी, भरतपुर एवं 06 तहसीलें मनेन्द्रगढ़, चिरमिरी, खड़गवां, केल्हारी, भरतपुर, कोटाडोल तथा तीन विकासखण्ड मनेन्द्रगढ़, खड़गवां, भरतपुर हैं। नगरीय निकाय के रूप में नगर निगम चिरमिरी, नगर पालिका परिषद मनेन्द्रगढ़, नगर पंचायत झगराखण्ड, लेदरी, खोंगापानी में कार्य किया जा रहा है।
एम.सी.बी. जिले में अनेक छोटी-बड़ी नदियां हैं-
बनास नदी
यह भरतपुर तहसील के ग्राम धोवाताल के पास मुरेरगढ़ की पहाड़ी से निकलती हुई रमदहा जलप्रपात बनाती है। बनास नदी सोन नदी प्रवाह क्षेत्र का हिस्सा है।
हसदेव नदी
यह कोरिया जिले के सोनहत विकासखण्ड के मेन्ड्रा पहाड़ी से निकलकर एम.सी.बी. जिले के मनेन्द्रगढ़ तहसील में अमृतधारा जलप्रपात का निर्माण करती है और महानदी में जाकर मिल जाती है। हसदेव नदी महानदी की सहायक नदी है। इसके अलावा जिले में गोपद, गेज, मवई, नेउर, हंसिया जैसी कई छोटी-बड़ी नदियां हैं।
वन
एम.सी.बी. जिले में वन का कुल क्षेत्रफल लगभग 2500 वर्ग किमी है। वनमंडल मनेन्द्रगढ़ में साल, बीजा, शीशम, हर्रा, आम, महुआ, जामुन, तेन्दू, आँवला व चंदन (हसदेव नर्सरी) के पेड़ बहुतायत में हैं। यहाँ अनेक प्रकार की इमारती व जलाऊ लकड़ी, बांस, तेन्दुपत्ता, साल, बीज, हर्रा, बहेरा सहित अन्य वनोपज वन सम्पदा के रुप में होती है।
जिले की खनिज सम्पदा
जिले की भौतिक स्थिति गोंडवाना शैल के चट्टान से बना है। यह पूर्वी बघेलखण्ड के पठार का एक हिस्सा है। यहाँ लाल-पिली मिट्टी पाई जाती है। कोयला नवोदित एम.सी.बी. जिले का प्रमुख खनिज संसाधन है। छत्तीसगढ़ में सर्वप्रथम कोयला उत्खनन का कार्य कोरिया रियासत (वर्तमान जिला मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर) से ही प्रारंभ हुआ है. यहाँ सर्वे का कार्य (पूर्व कोरिया रियासत) सन 1913 में प्रारंभ हुआ था तथा कोयला खदानों का पहला ठेका सन 1928 में टाटा और नागपुर के बंशीलाल अमीरचंद को मिला था. उन्होंने क्रमशः चिरमिरी और कुरासिया में कोयला उत्खनन की शुरूवात की. सन 1928 में ही कारीमाटी (झगराखांड) में डालचंद बहादुर (कलकत्ता) ने उत्खनन का कार्य प्रारंभ किया. ये रियासत को 4% रायल्टी देते थे. कुछ समय के उपरांत आसपास के पोंडी, साजा-पहाड़ तथा उत्तरी चिरमिरी में उत्खनन का कार्य प्रारंभ किया गया. कोयला क्षेत्र के प्रमुख ठेकेदार श्री बी.बी. लहड़ी (कलकत्ता) के थे, जो बाद में चिरमिरी में बस गये. वो कोयला क्षेत्र में कोरिया राजा के प्रमुख सलाहकार भी थे. यहीं पर सर्वप्रथम न्यूनतम मजदूरी की दर 1947 में लागू की गयी. इसी समय कोयला क्षेत्र में श्री रतनलाल मालवीय (मनेन्द्रगढ़) और श्री राम कुमार दुबे (चिरमिरी) प्रमुख श्रमिक नेता थे. आगे चलकर श्री मालवीय भारत सरकार के श्रम उपमंत्री बने. वर्तमान केन्द्रीय चिकित्सालय उन्ही की देन है. दक्षिण पूर्व कोयला प्रक्षेत्र का महाप्रबंधक कार्यालय भी जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ में स्थित है।
कोयला ढुलाई के लिए बंगाल-नागपुर रेलवे द्वारा अनुपपुर से चिरमिरी तक लाइन बिछाने का कार्य प्रारंभ किया गया जो 1930 में मनेन्द्रगढ़ एवं 1931 में चिरमिरी में लाइन बिछाने का कार्य पूर्ण किया गया|